ज्वालामुखी का तात्पर्य उस दरार से होता है जिसका संबन्ध पृथ्वी के आंतरिक भाग से होता है और जिसके माध्यम से तप्त गैसे, लावा, मैग्मा, जलवाष्प आदि पदार्थ बाहर निकलते है।
ज्वालामुखी से निकलने वाले पदार्थ- इसे तीन भागों में बाटा गया है।
(१) गैस तथा जलवाष्प:- ज्वालामुखी से सर्वप्रथम गैंसे एवं जलवाष्प बाहर आती है। इसमे जलवाष्प की मात्रा सर्वाधिक होती है।
जलवाष्प (६२-९०% ), अन्य गैंसों में कार्बनडाईआकसाइड, नाइट्रोजन सल्फरडाई आक्साइड आदि गैसे निकलती है।
(२) विखण्डित पदार्थ:- इसमें धूल एवं राख के धनीभवन से बनी चट्टाने टुकड़े (टफ) मटर के दाने के आकार वाले टुकड़े (लैपिली), कुछ इंच से लेकर फिट तक के व्यास वाले बड़े-बड़े चट्टानी टुकड़े ''बाम्ब'' आदि धरातल के बाहर निकलते है।
(३) लावा- ज्वालामुखी उद्गार के समय पृथ्वी के गर्भ में स्थित तरल पदार्थ को मैग्मा कहते है। जब मैग्मा ज्वालामुखी उद्गार से बाहर निकलता है तो उसे लावा कहते है और जब यह लावा धरती में ठण्डा हो जाता है तो इसे आग्नेय चट्टान की उपमा दी जाती है।
ज्वालामुखी के अंग- जब लावा चारो तरफ जमा हो जाता है तो ज्वालामुखी शंकु का निर्माण होता है जब जमाव ज्यादा हो जाता है तो शंकु काफी बड़ा हो जाता है आैर पर्वत का रुप धारण कर लेता है।इस पर्वत के ऊपर लगभग बीच में एक छिद्र होता है जिसे ज्वालामुखी छिद्र कहते है। इस छिद्र का धरातल के नीचे पृथ्वी के गर्भ से सम्बन्ध एक पतली नली से होता है जिसे ज्वालामुखी नली कहते है।जब ज्वालामुखी का छिद्र बड़ा हो जाता है तो उसे ज्वालामुखी का मुख कहते है। जब धंसाव या अन्य कारण से ज्वालामुखी का विस्तार अधिक हो जाता है तो उसे काल्डेरा कहते है।
ज्वालामुखी के प्रकार :- सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखी को तीन भागों में बाटा गया है।
(1) सक्रिय ज्वालामुखी:- ऐसे ज्वालामुखी जिनके मुख से सदैव लावा, गैसे, जलवाष्प, धूल आदि निकलती रहती है उन्हें सक्रिय ज्वालामुखी के अर्न्तगत रखते है।
कुछ प्रमुख सक्रिय ज्वालामुखी-
कुछ प्रसुप्त ज्वालामुखी निम्नलिखित है-
कुछ प्रमुख्ा शान्त ज्वालामुखी निम्नलिखित है-
ज्वालामुखी से सम्बंधित परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण तथ्य
(२) बेसिक लावा:- यह हल्का पतला एवं धरातल में शीघ्र से फैलने वाला लावा होता है तथा यह कम चिपचिपा भी होता है और इससे चपटा या शील्ड शंकु का निर्माण होता है। उदाहरण- मोनोलोवा जो हवाई द्वीप में स्थित है।ज्वालामुखी से निकलने वाले पदार्थ- इसे तीन भागों में बाटा गया है।
(१) गैस तथा जलवाष्प:- ज्वालामुखी से सर्वप्रथम गैंसे एवं जलवाष्प बाहर आती है। इसमे जलवाष्प की मात्रा सर्वाधिक होती है।
जलवाष्प (६२-९०% ), अन्य गैंसों में कार्बनडाईआकसाइड, नाइट्रोजन सल्फरडाई आक्साइड आदि गैसे निकलती है।
(२) विखण्डित पदार्थ:- इसमें धूल एवं राख के धनीभवन से बनी चट्टाने टुकड़े (टफ) मटर के दाने के आकार वाले टुकड़े (लैपिली), कुछ इंच से लेकर फिट तक के व्यास वाले बड़े-बड़े चट्टानी टुकड़े ''बाम्ब'' आदि धरातल के बाहर निकलते है।
(३) लावा- ज्वालामुखी उद्गार के समय पृथ्वी के गर्भ में स्थित तरल पदार्थ को मैग्मा कहते है। जब मैग्मा ज्वालामुखी उद्गार से बाहर निकलता है तो उसे लावा कहते है और जब यह लावा धरती में ठण्डा हो जाता है तो इसे आग्नेय चट्टान की उपमा दी जाती है।
ज्वालामुखी के अंग- जब लावा चारो तरफ जमा हो जाता है तो ज्वालामुखी शंकु का निर्माण होता है जब जमाव ज्यादा हो जाता है तो शंकु काफी बड़ा हो जाता है आैर पर्वत का रुप धारण कर लेता है।इस पर्वत के ऊपर लगभग बीच में एक छिद्र होता है जिसे ज्वालामुखी छिद्र कहते है। इस छिद्र का धरातल के नीचे पृथ्वी के गर्भ से सम्बन्ध एक पतली नली से होता है जिसे ज्वालामुखी नली कहते है।जब ज्वालामुखी का छिद्र बड़ा हो जाता है तो उसे ज्वालामुखी का मुख कहते है। जब धंसाव या अन्य कारण से ज्वालामुखी का विस्तार अधिक हो जाता है तो उसे काल्डेरा कहते है।
ज्वालामुखी के प्रकार :- सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखी को तीन भागों में बाटा गया है।
(1) सक्रिय ज्वालामुखी:- ऐसे ज्वालामुखी जिनके मुख से सदैव लावा, गैसे, जलवाष्प, धूल आदि निकलती रहती है उन्हें सक्रिय ज्वालामुखी के अर्न्तगत रखते है।
कुछ प्रमुख सक्रिय ज्वालामुखी-
- हवाई दीप (अमेरिका) मे स्थित ''किलायू'' तथा '' मौनालोवा''
- सिसली द्वीप में स्थित ''माउएट ऐरना''
- लेपारी द्वीप में स्थित ''स्ट्राम्बोली''
- इक्वाडोर में स्थित ''कोटोपैक्सी''
- अंटार्कटिका मे स्थित ''माउण्ट इरेबस''
- अंडमान निकोबार मे स्थित ''बैरन द्वीप
- अर्जेंटीना-चिली की सीमा में स्थित - ओजल डेल सालाडों
कुछ प्रसुप्त ज्वालामुखी निम्नलिखित है-
- अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित ''नारकोण्डम ज्वालामुखी''
- जापान का ''फ्यूजीयामा''
- इटली का ''विसूवियस''
- इंडोनेशिया का ''काकाटाओ''
कुछ प्रमुख्ा शान्त ज्वालामुखी निम्नलिखित है-
- म्यांमार का ''प्योपा''
- तंजानिया का '' किलिंमंजारेा ज्वालामुखी ''
- इक्वाडोर का ''चिम्बराजो''
- ईरान का '' कोह सुल्तान '' एवं '' देवबंद''
- एण्डीज पर्वत श्रेणी में स्थित ''एकांकागंआ''
ज्वालामुखी से सम्बंधित परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण तथ्य
- सिलिका के आधार पर लावा को दो भागों में बाटा गया है-(१) ऐसिड लावा- यह अत्यन्त गाढ़ा एवं चिपचिपा होता है तथा सिलिका की मात्रा अधिक होती है अत: इस लावा दूर -दूर न फैलकर क्रेटर के आसपास ही जमा हो जाता है अौर गुम्बदाकार शंकु का निर्माण्ा करता है। इसका उदाहरण - इटली का स्ट्राम्बोली तथा फ्रांस का डी-डोम आदि है
- मैफिक लावा में किस तत्व की प्रधानता अधिक होती है- मैग्नीशियम तथा लौह अंश की।
- विश्व की सर्वाधिक ऊचाई पर स्थित मृत ज्वालामुखी- ''एकांकागुआ'' (6960 मीटर की ऊचाई मे है , एण्डीज पर्वतमाला में )
- यूलोस्टोन पार्क कहॉं स्थित है- अमेरिका।
- संसार का सर्वाधिक सक्रिय ज्वालामुखी कौन सा है- किलायू (हवाई द्वीप) में ।
- पिनाटुबो ज्वालामुखी कहॉं पर है- ''फिलीपींस''
- गर्म स्थल संकल्पना के प्रतिपादक कौन थे- जेसन मार्गन एवं ट्रूजो विल्सन (अमेरिका)।
- ज्वालामुखी विस्फोट के समय बाहर हवा में उडा हुआ लावा शीघ्र ठण्डा होकर छोटे- छोटे टुकडे मे बदल जाता है और इन टुकडो को क्या कहा जाता है- सुण्डा।
- ज्वालामुखी क्रेटर में वर्षा का जल एकत्र हो जाता है जिससे ज्वालामुखी झील का निर्माण हो जाता है, कुछ ऐसी झीलो के नाम है- लोनार (महाराष्ट्र) टिटिकाका (द० अमेरिका) विक्टाेरिया (अफ्रीका)
- भूमध्य सागर के प्रकाश स्तम्भ की उपमा, कौन से ज्वालामुखी को प्रदान किया गया है- स्ट्राम्बोली (इटली)
- विश्व का सबसे ऊचॉं ज्वालामुखी पर्वत कौन सा है- कोटोपैक्सी(इकवाडोर)
- किस महाद्वीप में एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी पाया जाता है- अंण्टार्कटिका (माउण्ट इरेबस)
- विश्व की सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित सक्रिय ज्वालामुखी कौन सा है- ओजस डेल सलाडो (एण्डीज पर्वतमाला मे 6885 मी०)
- किस ज्वालामुखी परिमेखला को ''अग्नि वलय'' की संज्ञा प्रदान की गयी है- प्रशान्त महासागर के परिमेखला को
- माउण्ट ताल ज्वालामुखी कहॉं है- फिलीपींस
- सेनट हेलन्स ज्वालामूुखी कहॉं है- अमेरिका (कास्कड श्रेणी)
ज्वालामुखी [volcanoes] for ssc, nda, cds etc
Reviewed by TEAM 1
on
April 02, 2015
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