प्रिय पाठको आपका कम्पटीशनगाइडर डाट काम पर स्वागत है। इस पोस्ट पर हम एक फिर एसएससी स्टेनो 2016 के स्किल टेस्ट के लिये एक आडियो डिक्टेशन तथा उसका ट्रांसक्रिप्शन प्रसतुत कर रहे है। पिछले स्टेनों की डिक्टेशन के लिए स्टेनो लेबल पर क्लिक करे।
आडियो डिक्टेशन नीचे है
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय का फैसला पूरे देश के लिए अहम है। इन स्कूलों ने दिल्ली विकास प्राधिकरण से सस्ते दामों पर जमीन तो ले ली, पर दिल्ली शिक्षा अधिनियम, 1973 के प्रावधानों को मानने को तैयार नहीं थे, जिसमें साफ है कि ऐसे स्कूल दिल्ली के शिक्षा निदेशालय की मंजूरी से ही फीस में वृद्धि कर सकते हैं। वास्तव में दिल्ली सरकार और निजी स्कूलों के बीच इसे लेकर लंबे समय से टकराव चला आ रहा था। पिछले वर्ष दिल्ल्ाी उच्च न्यायालय ने निजी सकूलों के तर्कों को खारिज करते हुए उन्हें दिल्ली सरकार की मंजूरी से ही फीस में वृद्धि करने का निर्देश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने भी निजी स्कूल संचालकों की अपील को खारिज कर स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा को मुनाफा कमाने का धंघा नहीं बनाया जा सकता। विभिन्न कानूनों के जरिये शिक्षा को मौलिक अधिकार में शामिल करने के साथ ही अनिवार्य तो कर दिया है, पर शिक्षा के विसतार के साथ स्कूलों की संख्या बढ़ाने की भी जरूरत है और यह काम अकेले सरकारें नहीं कर सकती। इसके लिए निजी स्कूलों की भी जरूरत है, मगर इसका यह मतलब नहीं है कि निजी स्कूलों के संचालक फीस वृद्धि के नाम पर मनमानी करने लगें। निजी स्कूल गुणवत्ता और संसाधनों का तर्क देते हैं और फीस वृद्धि की अपरिहार्य बताते हैं, लेकिन देखा जा सकता है कि ऐसे अधिकांश स्कूलों के वित्तीय ढांचे में पारदर्शिता का कितना अभाव है। शिक्षा की सब तक पहुंच बनाने के लिए जयरी है कि फीस के ढांचे में भी संतुलन हो। सर्वोच्च आदलत का यह फेसला निजी सकूलों को जवाबदेह बनाने के लिए है, यह निजी सकूलों के खिलाफ नहीं है, क्योंकि सरकारों के पास पर्याप्त संसाधन नही हैं। दिल्ली में ही अनेक सरकारी और नगर निगम के सकूलों को पार्कों में तंबुओं में लगाना पडता है। इसके अलावा शिक्षक और छात्र अनुपात भी देशभर में कोई बेहतर नहीं है। जाहिर है, शिक्षा के निजीकरण को रोका नहीं जा सकता, पर जरूरी है कि स्कूलों पर नियंत्रण के लिए जवाबदेह नियामक संस्था बनाई जाए। तमिलनाडुद्व पंजाब और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पहले से यह व्यवस्था कायम है, जिनहं दूसरे राज्यों में भी अपनाया जा सकता है।
पहली बार आम बजट फरवरी के आखिरी दिन के बजाय एक फरवरी को पेश किया जा रहा है। नोटबंदी के दर्द पर मरहम लगाने के परिप्रेक्ष्य में पिछले बजटों की तुलना में यह बजट कुछ उदार हो सकता है। इसमें नोटबंदी के प्रमुख लक्ष्यों-कालेधन की रोकथाम, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने और आर्थिक गतिविधियों में नकदी का चलन कम करने के प्रयास दिख सकते हैं। योजनागत और गैर योजनागत की अपेक्षा केंद्र का व्यय राजस्व और पूंजीगत व्यय में वर्गीकृत किया जा सकता है।
अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रही है। उद्योग-कारोबार, निर्यात और निजी निवेश के मोर्चे पर सबसे ज्यादा मुश्किलें हैं। बड़े मूल्य के नोटों को वापस लेने के चलते उद्याेग-कारोबार पर असर पड़ा है, लिहाजा ब्याज दरों में कटौती की अपेक्षा है। चूकि एक ओर बाजार मांग की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। लोगों के पास चीजें और सेवाएं खरीदने के लिए पर्याप्त रूपये नहीं है। वहीं दूसरी ओर निवेश और मांग की कमी के कारण उद्योग-कारोबार की रफ्तार नहीं बढ़ने से नौकरियां घटी हैं। नए बजट में कौशल विकास, ढांचागत विकास, श्रम कानून और भूमि अधिग्रहण के लिए व्यापक सुधार दिखाई दे सकते हैं।
HINDI AUDIO DICTATION AND TRANSCRIPTION 4 FOR SSC STENO EXAM 2016
Reviewed by TEAM 1
on
January 25, 2017
Rating:
No comments: