· भारत में यूरोपीय वाणिज्यिक कंपिनियों का आगमन
भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों का आगमन इस रूप में हुआ- पुर्तगाली-डच-अंग्रेज-डेन-फ्रांसीसी
पुर्तगाली
· सन् 1498 में पुर्तगाल निवासी वास्कोडिगामा अाशा अंतरीप होते हुए भारत के कालीकट पहुँचा, जहॉं के शासक जमोरिन ने उसका स्वागत किया
· वास्कोडिगामा ने भारत में कालीमिर्च के व्यापार से 60 गुना मुनाफा कमाया,जिससे अन्य पुर्तगाली व्यापारी भी व्यापार करने हेतु प्रोत्साहित किया।
· भारत में पुर्तगालियों ने कोचीन, गोवा तथा दमन एवं दीव में अपने व्यापारिक केंद्र स्थापित किये।
· पुर्तगालियों ने भारत में अपने व्यापारिक एकाधिकार को स्थापित करने के लिये शक्ति का भी प्रयोग किया। इस कार्य में उन्हें समुद्र पर राज करने वाले हथियारबंद जहाजों की श्रेष्ठता के कारण विजय मिली।
· अल्फासों डि अलबुकर्क 1509 ई. में भारत में वायसराय बनकर आया तथा 1510 ई. उसने गोवा पर अधिकार कर लिया।
· 16वीं सदी के उत्तरार्द्ध में उभरती हुई इंग्लैंड, हॉलैंड तथा फ्रांस की व्यापारिक कंपनियों ने विश्व व्यापार पर स्पेनी तथा पुर्तगाली एकाधिपत्य के खिलाफ संघर्ष छेड दिया, जिसमें स्पेन व पुर्तगाल की हार हुई।
· भारत में गोवा, दमन और दीव 1961 तक पुर्तगालियों के अधिकार में रहे।
डच
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1602 ई. में डच ईस्ट कंपनी की स्थापना की गई। डच संसद ने इन्हें भारत तथा पूरब देशों के साथ व्यापार करने, युद्धकरने, युद्ध छेडने, संधियॉं करने, इलाकों को जीतने तथा किले निर्मित करने का अधिकार दिया।
· भारत में डचोंने अपना पहला कारखाना 1605 में मसूलीपट्टनम में स्थापित किया।
· डचों की खास दिलचस्पी इंडोनेशियाके जावा, सुमात्रा तथा स्पाइस आइलैंडद्वीपों में होनेवाले मसाला व्यापार में थी।
· डचों द्वारा पुलीकट में पैगोडा नामक सिक्के का प्रचलन करवाया गया।
· 1769 में अंग्रेजों ने बेदरा के युद्ध में डचों को पराजित कर भारत में उनकी शक्ति को समाप्त कर दिया।
अंग्रेज
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इंगलैंड की महारानी एलिजाबोथ ने 1599 में स्थापित ईस्ट इंडिया कंपनी को पूर्व के साथ व्यापार करने हेतु 15 वर्षो का अधिकार पत्र 31 दिसम्बर, 1600 ई में कंपनी को सौपा
· 1608 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने सूरत में फैक्ट्री स्थापित करने के उद्देश्य से अपने दूत कैप्टन हाकिंस को जहांगीर के पास भेजा। जहागीर ने कंपनी स्थापित करने का फरमान जारी कर दिया।
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· पुर्तगालियों ने 1622 ई. में बाम्बे को अंग्रेजो का सौप दिया। यह अंग्रेजों को दहेज के रूप में प्राप्त हुआ। ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स द्वितीय की शादी पुर्तगाली राजकुमारी से हुयी।
· इसके बाद गोवा, दमन और दीव ही पुर्तगालियों के अधीन बचा।
· 1611 में दक्षिणभारत के मसूलीपट्टनम में अंग्रेजो ने पहला कारखाना स्थापित किया । बाद में इसका स्थानांतरण मद्रास में कर दिया गया।
· अंग्रेजी कंपनी ने मद्रासमें स्थित अपने व्यापारिककेंद्रकी किलेबंदी कर उसका नाम फोर्ट सेंट जॉर्जरखा।
· 1622 में पुर्तगाली द्वारा दहेज मे बाम्बे शहर ब्रिटिश सरकार को मिला था। इसे कंपनी ने सरकार से 1668 में प्राप्त किया और किलेबंदी की।
· बांबे में केंद्र स्थापित हो जाने के बाद अंग्रेजो को मराठो को नियंत्रित करने में आसानी हो गयी। प्रारंभ में पश्चिमी तट का केंद्र सूरत तथा लेकिन अब बंबई बना लिया गया।
पूर्वीभारत में अंग्रेजो ने अपना पहला कारखाना उडीसा में स्थापित किया तथा 1651 में हुगली में स्थापित किया।
· धीरे-धीरे कंपनी की महत्वकांछा बढ़ती जा रही थी। इसी से ग्रस्त होकर कंपनी ने हुगली पर आक्रमण कर दिया। तात्कालिक सम्राट औरंगजेब ने महतोड जवाब दिया। उसने अंग्रेजो को बंगाल, सूरत, मुसलीपट्टनम और विशाखापट्टनम से खदेड दिया। यह घटना 1686 में घटी थी। औंरगजेब ने रूपये 15,0000 हर्जाना के बदले एक बार फिर से कंपनी को व्यापार करने की अनुमि दे दी।
· सुतानाटी, कालिकाता तथा गोविंदपुर को मिलाकर जॉब चॉरनाक ने कलकत्ता की नींव डालीतथा यहॉं फोर्टविलियम नामक किलेका निर्माण करवाया।
· 1717 में तत्कालीन मुगल शासक फर्रूखसियर के एक फरमान द्वारा बंगाल में रूपये 3000 वार्षिक कर अदा करने के बदले सभी प्रकार के व्यापारिक करों से मुक्त कर दिया तथा 38 गावों को खरीदने का अधिकार मिल गया।
डेन
· डेन ईस्ट इंडिया कपनी की स्थापना 1616 में की गयी थी। सेरामपुर डेनो का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। 1745 तक इन्होंने अपनी फैक्ट्रियों को अंग्रेजों को सौप दिया।
फ्रांसीसी
· फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना सन् 1664 ई में हुयी। फ्रांसीसियों ने अपना पहला कारखाना 1668 में सूरत में स्थापित किया।
· अंग्रेजों तथा फ्रांसीसी शक्तियों के बीच कई युद्ध हुये जिंहे कर्नाटक युद्ध के नाम से जाना जाता है।
· प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-48 में हुया। इसका कारण फ्रांस और इंग्लैड के बीच चल रहा सप्तवर्षीय युद्ध था।
· 1749-54 में दूसरा कर्नाटक युद्ध हुआ।
· 1760 में वांडीवाश की लड़ाई में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व आयरकूट तथा फ्रांसीसी सेना का नेतृत्व लाली कर रहा था। इसमें फ्रांसीसियों की हार हुयी तथा पंडिचेरी अंग्रेजो के कब्जे में आ गया।। इस कलह का अंत 1763में संपन्न हुये पेरिस समझौते के तहत हुआ।
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MODERN HISTORY
Reviewed by TEAM 1
on
December 31, 2016
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