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हमारी सामाजिक समस्‍याएं

आज भारत स्‍वतंत्र है लेकिन दीर्घकालीन पराधीनता ने इसे पंगु बना दिया है। आज हम अपने स्‍वयं के भाग्‍य विधाता है किन्‍तु हमारा समाजिक पतन इतना हो गया है कि हमें अपने पैरों पर खड़ा होना कठिन हो रहा है। आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक समस्‍याएं हमें चारो ओर से घेरे हुयी है। 

अपने देश की समस्‍याओं को समझना और उनको दूर करने का प्रयास करना प्रत्‍येक नागरिक का कर्तव्‍य है। हमारे देश में समस्‍याएं मुंह बाए खड़ी हुई है। इनमें से कुछ प्रमुख समस्‍याओं पर हम दृष्‍टिपात करेंगे।
(1) अश्‍ािक्षा:- हमारे देश की अधिकांश जनता अशिक्षित है। एक समय था जब दूर-दूर से लोग हमारे देश में पढ़ाई करने आते थे। वेदा का प्रकाश भी इसी ध्‍ारती पर हुअा किन्‍तु आज अशिक्षा के अंधकार में अधिकांश जनता डूबी हुयी है। हमें अपने देश की इस समस्‍या का समाधान करना होगा।

(2) अस्‍वास्‍थ्‍य:- हमारे समाज की दूसरी सबसे महत्‍वपूर्ण समस्‍या अस्‍वास्‍थ्‍य है। हमारे देश में चिकित्‍सा के साधनों की कमी है। समय पर लोगों को एम्‍बुलेंस नहीं मिल पाती है। गरीबी के कारण लोगों को शरीर रोगमुक्‍त रखने में आवश्‍यक तत्‍व नहीं मिल पाता हैं। गावों में अस्‍पताल अभी दूर की बात है। लोगों को बरसात तथा महामारी के समय बेड नहीं मिल पाते। सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है और इसे अधिक तवज्‍जों देने की जरूरत है। 

(3) निर्धनता:- यह एक प्रमुख समस्‍या है। जिसके उन्‍मूलन से एक साथ कई समस्‍याओं को खत्‍म किया जा सकता है। आज लोगों के पास तन ढकने तथा खाना खाने के लिये पैसे नहीं है जिसके कारण समाज में असामाजिक तत्‍वों की वृद्धि हुयी है। इसके कारण समाज में चोरी, डकैती जैसे दोषों की जड़े मजबूत होती जा रही है। आर्थिक विकास के बिना इस समस्‍या से निजात पाना एक कोरी कल्‍पना होगी।

(4) असपृश्‍यता:- हमारी समस्‍याओं में यह भ्‍ाी महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखती है देश के निचले तबके लोगों को हीन दृष्‍टि से देखा जाता है। उनके साथ सामाजिक भेदभाव किया जाता है। बापू का सपना था भारत को छुअा-छूत भुक्‍त भारत बनाना। यह समस्‍या अभी पूरी तरह समाप्‍त नहीं हुयी है। इसके लिये लोगों को अपनी दूषित सोच में परिवर्तन लाना होगा।

(5) कृषि:- हमारा देश कृषि प्रधान देश है किन्‍तु कृषि प्रधान होने के बावजूद कृषि का विकास नहीं हो पाया है। अभी भी हमारी उत्‍पादन क्षमता इतनी नहीं बढ़ी है कि हम सभी पर्याप्‍त अनाज उपलब्‍ध करा सके। अभी भी उन्‍नत किस्‍म के बीजो, खाद की आपूर्ति समय से नहीं हो पाती है। 

(6) बेकारी:- बेकारी हमारे समाज की ऐसी समस्‍या है जो देश को अन्‍दर से खोखला करती जा रही है। एक सर्वे के मुताबिक देश में लगभग 15 करोड़ युवा बेराजगार है। एक आकड़े और बढ सकते है क्‍यों कि भारत में छिपी बेरोजगारी पायी जाती है। शिक्षित लोग बेरोजगार घूम रहे है तथा आत्‍महत्‍या कर रहे है। कुटीर उद्योगों का विकास इस समस्‍या को हल करने में काफी हद तक मदद कर सकता है।

(7) नारी उत्‍थान:-नारी का पतना हमारे सामाजिक विकास की सबसे बड़ी बाधा है। नारी समाज की गंदी प्रथाए समाप्‍त होनी चाहिए। आज उन्‍हे सिर्फ घर की अन्‍दर रहने वाली वस्‍तु के रूप में देखा जा रहा है। इस सोच को बदलने की आवश्‍यकता है।
इस प्रकार हमारे समाज में अनेक समस्‍याएं है जो भयानक रूप धारण किये हुए खड़ी हैं। इन समस्‍याओं के कारण समाज का विकास तेजी से नहीं हो रहा है।

धन्‍यवाद





हमारी सामाजिक समस्‍याएं हमारी सामाजिक समस्‍याएं Reviewed by TEAM 1 on September 16, 2016 Rating: 5

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