प्रधानमंत्री जन-धन योजना:- प्रधानमंत्री जन-धन योजना एक राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन है। प्रधानमंत्री जी ने 'प्रधानमंत्री जन-धन योजना' के माध्यम से आर्थिक छुआ-छूत के विरुद्ध शंखनाद किया है। 'मेरा खाता भाग्य विधाता' के नारे के साथ प्रारम्भ की गयी इस योजना के पहले दिन में ही करीब डेढ करोड खाते खोले गये और पूरी दुनिया की बैंकिग व्यवस्था में नया कीर्तिमान जुड़ गया। प्रधानमंत्री ने अपने वादे आर्थिक भेद-भाव मिटाने का वायदा किया था और उस वादे को पूरा करने का प्रयास इस योजना के माध्यम से किया गया है।
अभी भी देश का एक चौथाई हिस्सा साहूकारों के चंगुल में फसा हुआ है। बैंक की कई योजनाओं का लाभ उनका खाता न होने का कारण नहीं प्राप्त हो पाता था। इसके कारण उन्हें मजबूरी में साहूकारो से ऊची दर पर कर्ज लेना पड़ता है और जिंदगी भर ऋण के बोझ में दबा रह जाता है। इन सब समस्याओं को कम करने के लिये इस योजना को प्रारम्भ किया गया है।
इंदिरा गांधी जी ने 1969 में 14 बैंको का राष्ट्रीयकरण करके गरीबी हटाओ का नारा दिया लेकिन तब भी बैंक गरीबों से दूर ही रहे। वे गरीब को भिखारियों की नजर से देखते थे। जन-धन योजना के छह पहलू है। इनमें दुर्घटना बीमा कवर, जीवन बीमा, ओवर ड्राफ्ट सुविधा, बैंकिग को प्रोत्साहन, निगरानी से आरबीआई का हटाना शामिल है। प्रथम चरण में जो खाते खोले गये है उसमे धारकों को 30000 रूपये का जीवन बीमा और 1 लाख रुपये का दुर्घटना-मृत्यु बीमा दिया गया है। उन्हे इस योजना के माध्यम से डेबिट कार्ड भी दिया जा रहा है। खाता छह महीने तक चलते रहने पर धारक को 2500 रुपये तक का लोन तथा इससे अधिक समय तक चले रहने तक 5000 रुपये तक का लोन मिल सकता है। मृत्यु या दुर्घटना बीमा राशि तभी देय होगी जब घटना के 45 दिन पूर्व तक खाता चलता रहा हो। इसके लिये खाता में कोई न्यूनतम राश्िा की आवश्यकता नहीं है। यह जीरो बैलेंस पर खाता खोला जा रहा है।
प्रत्येक योजना के पक्ष और विपक्ष में बाते होती है। इस बात पर हम गौर कर सकते है कि बैंक तो एक बार खाता खुलवाकर चला जायेगा लेकिन जीवन भर तो उसे ही बैंक जाने पडेगा।इस योजना को सुचारु रूप से चलाने के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ेगी। निश्चित रूप से यह योजना कारगर साबित होगी। इस योजना के माध्यम से सब्सिडी जरूरतमंदो तक पहुच सकती है और कालाबाजारी पर रोक लग सकेगी। जब देश के सभी सदस्यों का खुद का खाता होगा तो कोई भी योजना का पूरा लाभ लाभार्थी को मिल सकेगा। अभी एक रूपये में केवल 20 पैसा ही उसके पास पहुंच पाता है। इस योजना से भ्रष्टाचार पर कमी आ सकेगी। मनरेगा की मजदूरी, गैस सब्सिडी सब सीधे खाते में अा सकेगी।
देश में एक समस्या रही है कि योजनाओं का आरंभ तो बड़े जोर-शोर से होता है लेकिन कुछ दिनो बाद वह शिथिल पड़ जाती है। सरकार की नकद हस्तांतरण योजना इसी योजना पर टिकी हुयी है अगर इस योजना को सफल बनाना है तो पीएमजेडीवाई को सफल बनाना पडेगा। जुलाई 2016 में अब तक इस योजना के तहत 23.62 करोड़ खाते खोले जा चुके है। इस योजना में लगभग 1.26 लाख बैंक मित्र कार्यरत है। आशा है कि यह योजना भी सफल होगी ।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना
Reviewed by TEAM 1
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September 15, 2016
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