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आतंकवाद एक वैश्‍विक समस्‍या भाग-1

                                             अातंकवाद एक वैश्‍विक समस्‍या

अातंकवाद एक वैश्‍विक समस्‍या है। वास्‍तव में आतंक ही सबसे बड़ा आतंकवाद है। आतंक का सहारा लेने वालों को आतंकवादी कहा जाता है। चाहे छोटे राष्‍ट्र हो या फिर बड़े राष्‍ट्र सभी इससे परेशान है। आतंकवाद को कुछ शब्‍दों में नहीं लिखा जा सकता लेकिन इसके मूल कारणों तथा समस्‍या पर प्रकाश डाला ही जा सकता है। प्राय: परेशान लोग अपनी मॉंगों को पूरी करवाने के लिए हिंसा का सहारा लेते है, वे लोगो को डराते है, उन पर गोलियां बरसाते है, बम से हमला करते है या फिर खुद फिदाइन बनकर अपने को उड़ा लेते है। ये लोग अपना मानसिक संतुलन खाे चुके होते है और इन्‍हे अच्‍छाई और बुराई में फर्क नजर नहीं आता है।

आज भारत के सामने अशिक्षा, बढती हुई जनसंख्‍या, बेरोजगारी जैसी कई समस्‍याएं है। इनसे भी ज्‍यादा खतरनाक समस्‍या आतंकवाद भ्‍ाी भारत के सामने है। यह एक ऐसी समस्‍या है जिससे होने से देश कई गुना पीदे चला जाता है। भारत इस दंश को कई दशको से झेल रहा है। प्रारम्‍भ में यह समस्‍या केवल कश्‍मीर तक सीमित थी लेकिन अब यह समस्‍या लगभग पूरे देश में फैल गयी है। मुम्‍बई में ताज होटल पर हमला हो या फिर दिल्‍ली की संसद भवन पर हमला या जर्मन बेकरी कांड हो या पूर्वेात्‍तर में जारी हिंसा या फिर मध्‍य भारत में बढ़ती हुई नक्‍सलवादी समस्‍या ये सभी घटनाएं आतंकी है चाहे इनका नाम भले ही अलग हो लेकिन उद्देश्‍य एक ही है।
आज यह समस्‍या वैश्‍विक समस्‍या बन चुकी है। आज लगभग सभी देश इससे प्रभावित है। इसका उदाहरण अमेरिका के वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर पर हमला, फ्रांस पर हमला आदि है। समय के साथ आतंकवादियों का आतंक फैलाने की तकनीकियों में भी परिवर्तन आ गये है। अब वे जब चाहे किसी विमान को हाईजैक कर लेते है या फिर उसे गिरा देते है। साइबर क्राइम के माध्‍यम से वे अपने विचारों को गुप्‍त रूप से अपने साथियों को पहुचा देते है। लगभग सभी देश अाज इसकी निंदा कर रहे है। लेकिन अभी भी कुछ ऐसे देश है जो अप्रत्‍यक्ष रूप से इसको समर्थन देने में लगे हुए है। इसका ताजा प्रमाण है उनकी फंडिंग। तमाम जानकारियों के माध्‍यम से पता चलता है कि कुछ देश ऐसे संगठनों को आर्थिक मदद मुहैया करा रहे है तथा उनको सरंक्षण दिये हुए है। उनके पास ऐसे अत्‍याधुनिक हथियार है जो अभी कुछ देशों की सैन्‍य बलों के पास भी नहीं है। आज कुछ देश आतंकवाद को वर्गीकृत करने में लगा हुये है। जैसे अच्‍छा आतंकवाद, बुरा आतंकवाद। मेरा आतंकवाद, तुम्‍हारा आतंकवाद 
आतंकवाद के उदय में इसका प्रमुख योगदान रहा है। अस्‍सी के दशक में जब भारत इस गंभीर समस्‍या से जूझ रहा था तब भारत की बात सुनने वाला कोई नहीं था और जब यह समस्‍या वैश्विक बन गयी है तब भी इस पर गंभीर उपाय नहीं सोचे जा रहे है। कुछ विकसित देशों ने ईधन संपन्‍न देशों के असंतुष्‍ट लोगों को पहली सहायता दी तथा उनकी हिंसक घटनाओं में उनका समर्थन किया। फिर उन्‍हीं का दमन कर उनकों आतंकवादी घोषित कर दिया। कुछ ऐसा ही कृत्‍य फिलीस्‍तीन के साथ्‍ा भी किया गया। उसके पास जबरन अमेरिका तथा ब्रिटेन जैसे राष्‍ट्रो ने इजरायल नाम का एक राष्‍ट्र थोप दिया। जिससे वहां पर भी आतकवाद बढ़ने लगा। इससे अरब राष्‍ट्रो में नफरत की भावना पैदा हुई और वे अराजक समूहों का समर्थन करने लगे।
आतंकवाद विषय पर कई पन्‍ने भरे जा सकते है। आतंकवाद को किसी धर्म, संगठन से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। प्राय: यह कहावत है कि जहर-जहर को मारता है। ईट का जवाब पत्‍थर से देना चाहिए। लेकिन ये सभी उपाय आतंकवाद की रोकथाम मे सहायक नहीं होते ये है। ये उपाय उत्‍प्रेरक वर्धक का कार्य करते है और इससे इनकी घटनाओं में ज्‍यादा वृद्धि होती है। आज आतंक का दायरा बढ़ चुका है। टेक्‍नोलाजी ने इस को और मजबूत कर दिया है। हम सभी जानते है कि आईएस एक आतंकवादी संगठन है और यह मानवता का दुश्‍मन है लेकिन फिर भी लोग उससे जुड रहे है। उसकी विचारधारा लोगों को प्रभावित करने में कामयाब हो रही है और इसमें उसको सोशल मीडिया का सहयोग मिल रहा है।
आज राजनीति इसको प्रभावित कर रही है। सबसे बड़ी समस्‍या यही है कि आतंकवाद के विरोध में हाय-ताैबा मचाने वाले स्‍वयं अपने हितो की रक्षा के लिये आतंकवादी संगठनो को प्रोत्‍साहन देते है। इसकी शुरूआत अमेरिका ने की है।एक जिम्‍मेदार नागरिक होने के नाते हमारी भी जिम्‍मेदारी है कि हम ऐसे किसी भी प्रलोभन में न आये जो कृत्‍य आतंकवाद की श्रेणी में आता हो। समाधान सब के साथ मिलकर काम करने से निकलेगा क्‍यों कि यह एक वैश्‍विक समस्‍या है।
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आतंकवाद एक वैश्‍विक समस्‍या भाग-1 आतंकवाद एक वैश्‍विक समस्‍या भाग-1 Reviewed by TEAM 1 on September 15, 2016 Rating: 5

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