वायुमण्डल अनेक गैसों का यॉंत्रिक मिश्रण है।
वायुमण्डल में पाई जाने वाली प्रमुख्ा गैसों का संघटन:-
नाइट्रोजन:-यह वायुमण्डल में सबसे ज्यादा 78.03% पायी जाती है। यह मृदा के स्थरीकरण में योगदान देती है।
आक्सीजन:- यह वायुमण्डल में लगभग मे 21 % पायी जाती है। यह 120 किमी की ऊचाई पर नगण्य हो जाती है।
आर्गन:- यह वायुमण्डल में पायी जानी वाली अक्रिय गैसो में सबसे ज्यादा मात्रा में पायी जाती है। यह लगभग 0.932% पायी जाती है।
कार्बनडाईआक्साइड:- यह लगभग वायुमण्डल में 0.03% पायी जाती है। यह मौसम विज्ञान की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण गैस है क्योंकि ये सौर विकिरण के लिए पारदर्शी लेकिन पार्थिव विकरण के लिये अपारदर्शी है।
कार्बनडाईआक्साइड की मात्रा तेजी से बढ़ने के लिए दो कारण्ा है-
(1) बढ़ती दर से जीवाश्म के दहन के कारण कार्बनडाई आक्साइड की मात्रा तेजी से बढ़ रही है।
(2)तीव्र गति से वनों का विनाश
इस गैस की कमी के प्रयास के लिए क्योटो प्रोटाकाल (1997) में कई देशो ने अपनी सहमति प्रदान दी।
ओजो:- यह पृथ्वी की सतह से 15-50 किमी की ऊचाई के बीच पायी जाती है किन्तु इसकी सघनता 15-35 किमी के बीच अधिक पायी जाती है। सुपरसोनिक विमान से निकली नाइट्रोजनआकसाइड, रेफ्रिजेटर से निकली क्लोरोफ्लोरो कार्बन आदि ओजोन परत को कमजोर कर रही है।
ओजोन परत के क्षरण को बचाने के लिए 1987 में मांट्रियल प्रोटोकाल में कई देशों ने सहमति प्रदान की।
जलवाष्प:- वायुमण्डल में इसकी अधिकतम मात्रा 4% तक हो सकती है। वायुमण्डल में विद्यमान होने के कारण पृथ्वी में जीवन सम्भ्ाव हो पायी है। यह ऊष्ण क्षेत्राें में सर्वाधिक तथा शुष्क क्षेत्रों में कम पायी जाती है।
यह भी कार्बनडाईआक्साइड की भॉंति ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करती है।
धूलकण:- धूल और नमक के कण अाद्रता ग्राही केन्द्र की तरह कार्य करते है जिसके चारो ओर जलवाष्प संघनित होकर बादलो का निर्माण करती है।
वायुमण्डल की परते
वायुमण्डल धरातल से लगभग 1000 किमी ऊचाई तक फैला है परन्तु 97% भाग 30 किमी ऊचाई तक सीमित है। तापमान और घनत्व की विविधता के आधार पर वायुमण्डल की परतों को 5 भागों में बाटा गया है।
क्षोभमण्डल:- यह वायुमण्डल की सबसे निचली परत है। यह धरातल से लगभग 13 किमी ऊचाई तक है। ध्रुवों के निकट इसकी ऊचाई 8किमी है। समस्त मौसमी परिवर्तन की घटनाये इसी परत में होती है। प्रत्येक 165 मीटर की ऊचाई पर तापमान 1सेंट्रीग्रेड घटटा है। इसे ताप की सामान्य हास दर कहते है।इस भाग के गर्भ और शीतल होने का कार्य विकिरण, संचालन तथा सवंहन द्वारा होता है। इालिसये इसे संवहनीय मण्डल तथा विक्षोभ मण्डल कहते है। क्षोभमण्डल केा समताप मण्डल से अलग करने वाले भाग को क्षाेभसीमा कहते है। यह 1-1.5 किमी मोटी परत होती है।
समतापमण्ड़ल:- क्षोभमण्डल से 50 किमी ऊचाई तक समताप मण्डल का विस्तार है। इस मण्डल के निचले 20 किमी तक तापमान में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इस मण्डल में ओजाेन परत भी पायी जाती हैा ओजोन परत पराबैगनी किरणों का अवशोषण करती है।
यह मण्डल मौसमी घटनाओं से मुक्त है है इसलिये ये वायुयान चालकों के लियेउपयुक्त है। इस मण्डल की बाह्य सीमा को समताप सीमा कहते है जिसका तापमान 0सेंट्रीग्रेड होता है।
ओजोन मण्डल समताप मण्डल में ही पायी जाती है। यह समताप मण्डल के निचले भाग में 15-35 किमी के बीच पायी जाती है।
मध्यमण्डल:- 50 किमी से 80 किमी ऊचाई वाला क्षेत्र मध्यमण्डल कहलाता है। इस परत में ऊचाई के साथ तापमान का हास होता है। तथा तापमान 80 किमी की ऊचॉंई पर -100 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है इस न्यूनतम तापमान की सीमा को ''मेसेापास'' कहते है।
आयनमण्डल:- यह धरातल से 80-400 किमी ऊचाई तक है। ऊचाई के साथ तापमान में वृद्धि होती है। रेडियों तरंगे इसी मण्डल में प्रवाहित होती है। इसे d,e,f,g परतों मे बाटा गया है। जी परत में सभी प्रकार की रेडियों तरंगे प्रवाहित हो सकती है।
बाह्यमण्डल:- आयन मण्डल के ऊपर वायुमण्डल की सबसे ऊपरी परत है। इस की ऊचाई 640-1000 किमी मानी जाती है। इस परत में हाइड्रोजन तथा हीलियम गैस की प्रधानता रहती है।
वायुमण्डल में पाई जाने वाली प्रमुख्ा गैसों का संघटन:-
नाइट्रोजन:-यह वायुमण्डल में सबसे ज्यादा 78.03% पायी जाती है। यह मृदा के स्थरीकरण में योगदान देती है।
आक्सीजन:- यह वायुमण्डल में लगभग मे 21 % पायी जाती है। यह 120 किमी की ऊचाई पर नगण्य हो जाती है।
आर्गन:- यह वायुमण्डल में पायी जानी वाली अक्रिय गैसो में सबसे ज्यादा मात्रा में पायी जाती है। यह लगभग 0.932% पायी जाती है।
कार्बनडाईआक्साइड:- यह लगभग वायुमण्डल में 0.03% पायी जाती है। यह मौसम विज्ञान की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण गैस है क्योंकि ये सौर विकिरण के लिए पारदर्शी लेकिन पार्थिव विकरण के लिये अपारदर्शी है।
कार्बनडाईआक्साइड की मात्रा तेजी से बढ़ने के लिए दो कारण्ा है-
(1) बढ़ती दर से जीवाश्म के दहन के कारण कार्बनडाई आक्साइड की मात्रा तेजी से बढ़ रही है।
(2)तीव्र गति से वनों का विनाश
इस गैस की कमी के प्रयास के लिए क्योटो प्रोटाकाल (1997) में कई देशो ने अपनी सहमति प्रदान दी।
ओजो:- यह पृथ्वी की सतह से 15-50 किमी की ऊचाई के बीच पायी जाती है किन्तु इसकी सघनता 15-35 किमी के बीच अधिक पायी जाती है। सुपरसोनिक विमान से निकली नाइट्रोजनआकसाइड, रेफ्रिजेटर से निकली क्लोरोफ्लोरो कार्बन आदि ओजोन परत को कमजोर कर रही है।
ओजोन परत के क्षरण को बचाने के लिए 1987 में मांट्रियल प्रोटोकाल में कई देशों ने सहमति प्रदान की।
जलवाष्प:- वायुमण्डल में इसकी अधिकतम मात्रा 4% तक हो सकती है। वायुमण्डल में विद्यमान होने के कारण पृथ्वी में जीवन सम्भ्ाव हो पायी है। यह ऊष्ण क्षेत्राें में सर्वाधिक तथा शुष्क क्षेत्रों में कम पायी जाती है।
यह भी कार्बनडाईआक्साइड की भॉंति ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करती है।
धूलकण:- धूल और नमक के कण अाद्रता ग्राही केन्द्र की तरह कार्य करते है जिसके चारो ओर जलवाष्प संघनित होकर बादलो का निर्माण करती है।
वायुमण्डल की परते
वायुमण्डल धरातल से लगभग 1000 किमी ऊचाई तक फैला है परन्तु 97% भाग 30 किमी ऊचाई तक सीमित है। तापमान और घनत्व की विविधता के आधार पर वायुमण्डल की परतों को 5 भागों में बाटा गया है।
क्षोभमण्डल:- यह वायुमण्डल की सबसे निचली परत है। यह धरातल से लगभग 13 किमी ऊचाई तक है। ध्रुवों के निकट इसकी ऊचाई 8किमी है। समस्त मौसमी परिवर्तन की घटनाये इसी परत में होती है। प्रत्येक 165 मीटर की ऊचाई पर तापमान 1सेंट्रीग्रेड घटटा है। इसे ताप की सामान्य हास दर कहते है।इस भाग के गर्भ और शीतल होने का कार्य विकिरण, संचालन तथा सवंहन द्वारा होता है। इालिसये इसे संवहनीय मण्डल तथा विक्षोभ मण्डल कहते है। क्षोभमण्डल केा समताप मण्डल से अलग करने वाले भाग को क्षाेभसीमा कहते है। यह 1-1.5 किमी मोटी परत होती है।
समतापमण्ड़ल:- क्षोभमण्डल से 50 किमी ऊचाई तक समताप मण्डल का विस्तार है। इस मण्डल के निचले 20 किमी तक तापमान में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इस मण्डल में ओजाेन परत भी पायी जाती हैा ओजोन परत पराबैगनी किरणों का अवशोषण करती है।
यह मण्डल मौसमी घटनाओं से मुक्त है है इसलिये ये वायुयान चालकों के लियेउपयुक्त है। इस मण्डल की बाह्य सीमा को समताप सीमा कहते है जिसका तापमान 0सेंट्रीग्रेड होता है।
ओजोन मण्डल समताप मण्डल में ही पायी जाती है। यह समताप मण्डल के निचले भाग में 15-35 किमी के बीच पायी जाती है।
मध्यमण्डल:- 50 किमी से 80 किमी ऊचाई वाला क्षेत्र मध्यमण्डल कहलाता है। इस परत में ऊचाई के साथ तापमान का हास होता है। तथा तापमान 80 किमी की ऊचॉंई पर -100 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है इस न्यूनतम तापमान की सीमा को ''मेसेापास'' कहते है।
आयनमण्डल:- यह धरातल से 80-400 किमी ऊचाई तक है। ऊचाई के साथ तापमान में वृद्धि होती है। रेडियों तरंगे इसी मण्डल में प्रवाहित होती है। इसे d,e,f,g परतों मे बाटा गया है। जी परत में सभी प्रकार की रेडियों तरंगे प्रवाहित हो सकती है।
बाह्यमण्डल:- आयन मण्डल के ऊपर वायुमण्डल की सबसे ऊपरी परत है। इस की ऊचाई 640-1000 किमी मानी जाती है। इस परत में हाइड्रोजन तथा हीलियम गैस की प्रधानता रहती है।
atmosphere and its layer for exam
Reviewed by TEAM 1
on
April 12, 2015
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