राष्ट्रीय आय
राष्ट्रीय आय का तात्पर्य किसी अर्थव्यवस्था में एक निश्चित अवधि में उत्पादित
समस्त अंतिम वस्तुओं व सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य से है।
राष्ट्रीय आय एक प्रवाह
है न कि स्टॉक।
जब वस्तुओं एवं सेवाओं
का उत्पादन एक वित्तीय वर्षमें देश की भौगोलिक सीमाओं के अंदर हो (भारतीय एवं विदेशी
नागरिकों द्वारा) तो उसे सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।
सकल राष्ट्रीय उत्पाद
का अभिप्राय किसी देश के नागरिकों द्वारा एक वर्ष में उत्पादित कुल अंतिम वस्तुओं
एवं सेवाओं के बाजार मूल्य के योग से है। इससे विदेशों से प्राप्त निवल आय को भी
शामिल किया जाता है।
सकल राष्ट्रीय उत्पाद= सकल घरेलू उत्पाद +विदेशों से प्राप्त आय
सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से पूंजीगत वस्तुओं
के मूल्य हास को घटाने के बाद जो प्रतिफल मिलता है हम उसे निवल राष्ट्रीय उत्पाद
कहते है।
निवल राष्ट्रीय= उत्पाद सकल राष्ट्रीय उत्पाद- मूल्यहास
एक देश की राष्ट्रीय
आय को उसकी जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल प्राप्त होता है उसे हम प्रति व्यक्ति आय कहते है।
प्रति व्यक्ति आय= राष्ट्रीय उत्पाद/जनसंख्या
साधन लागत पर निवल राष्ट्रीय
उत्पाद राष्ट्रीय आय का सर्वोत्तम मापक माना जाता है। इसे राष्ट्रीय आय भी कहते
है।
साधन लागत पर निवल राष्ट्रीय
उत्पाद=बाजार कीमतों पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद- अप्रत्यक्ष
कर + सब्सिडी।
प्रमुख बिन्दु-
राष्ट्रीय आय की गणना
सामान्यत: स्थिर कीमतों पर की जाती है।
देश में राष्ट्रीय आय
की गणना सर्वप्रथम दादा भाई नैरोजी द्वारा वर्ष 1868 में अपनी पुस्तक ‘’पावर्टी एड अन ब्रिटिश रुल इन इंडिया’’ में की गई थी।
भारत में राष्ट्रीय आय की वैज्ञानिक गणना प्रो०वी०के०आर०वी०राव
ने की थी।
प्रो. राव ने राष्ट्रीय आय को अनुमानित करने के लिये
‘’उत्पादनविधि और आय विधि’’ दोनो का प्रयोग किया गया था
प्रो. राव की चर्चित पुस्तक का नाम ‘’ नेशनल इनकम इन ब्रिटिश इंडिया’’ था।
राष्ट्रीय आय समित की स्थापना 4 अगस्त 1949 को हुई
थी। प्रो. प्रशांत चंद्र महालनोबिस इस समिति के प्रथम अध्यक्ष थे।
मोनी मोहन मुखर्जी राष्ट्रीय आय समिति के सचिव थै।
केद्रीय सांख्यिकी संगठन की स्थापना 2 मई 1951 को
नई दिल्ली में हुई।
राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकीको ‘’व्हाइट पेपर ‘’
कहा जाता है।
भारत की राष्ट्रीय आय में सर्वाधिक योगदान सेवा क्षेत्र
का है।
भारत की राष्ट्रीय आय में सबसे कम योगदान प्राथमिक
क्षेत्र या कृषि क्षेत्र का है।
भारत में सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय दिल्ली की है।
राष्ट्रीय आय में संदर्भित हिन्दू वृद्धि दर का विचार
वर्ष 1978 में प्रो. राजकृष्ण ने दी थी।
इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी दर 3.5% के
स्तर से बढ रही है।
NATIONAL INCOME IMPORTANT FACTS FOR SSC CDS
Reviewed by TEAM 1
on
April 10, 2015
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