हृदय:-
- मनुष्य का हृदय लम्बा एवं शक्वाकार होता है। जो वक्षीय गुहा में फेफड़ो के मध्य पाया जाता है।हृदय 4 कोष्ठों में बँटा होता है। ऊपर की ओर दाया आलिंद तथा दायॉं निलय एवं नीचे की ओर बायॉं निलय होता है।
- हृदय का कार्य शरीर के विभिन्न भागों को रुधिर पम्प करना है। यह कार्य हृदय के संकुचन एवं शिथिलन के द्वारा होता हृदय के संकुचन एवं शिथिलन को सम्मिलित रुप से हृदय की धडकन कहते है।
- सामान्य अवस्था में मनुष्य का हृदय 1 मिनट में 72 बार धडकता है।
रुधिर या रक्त:-
- यह एक तरल संयोजी ऊतक है जो परिसंचरण तंत्र का मुख्य घटक है तथा इसी के माध्यम से रुधिर पूरे शरीर में भ्रमण करता है। रुधिर का मैट्रिक्स हल्के पीले रंग का एक द्रव होता है जिसे प्लाजमा कहते है।
- यह रुधिर का तरल निर्जीव भाग है जिससे रुधिर का 50-60प्रतिशत भाग बनता है। प्लाज्मा में रुधिर प्रोटीन, हार्मोन्स, एंजाइम इत्यादि बनते है।
- रुधिर का 40 प्रतिशत भाग रुधिर कणिकाओं का बना होता है। ये तीन प्रकार की लाल,श्वेत, व थ्रोम्बोसाइटस या प्लेटलेट्स होती हैं।
- लाल रुधिर कणिकाऍा:-ये कणिकाये हल्के पीले रंग की होती है बहुत अधिक संख्या मे होने के कारण ही इनका रंग लाल दिखाई देता है।
- श्वेत रुधिर कणिकाये:- इनमें हीमोग्लोबिन नहीं पाया जाता है इसके कारण ये रंगहीन होती है। ये आकार में लाल रक्त कण्ािकाओं से बडी होती है लेकिन इनकी संख्या कम होती है।
- थ्रोम्बोसाइट्स या प्लेटलेट्स:- ये कणिकाऍं केवल स्तनधारियों के रक्त में पाई जाती है। इनका निर्माण अस्थि-मज्जा की कोशिकाओं में टूट-फूट से होता है। इनका जीवनकाल मात्र 10 दिन होता है। थ्रोम्बोसाइट्स रक्त का थक्का जमने में सहायक होता है।
- धमनियॉं- रक्त को हृदय से विभिन्न अंगो तक ले जाने वाली नलिकाओं को धमनियॉं कहते है। पल्मोनरी धमनी को छोडकर सभी धमनियों में शुद्ध रक्त बहता है।
- शिराऍ- ये शरीर के विभिन्न हिस्सों से रक्त इकट्ठा करके हृदय में लाती है। इनकी दीवारे पतली होती है तथा उनमें अशुद्ध तथा आक्सीजन रहित रक्त बहता है। फुफ्फुसीय शिराओं में शुद्ध रक्त पाया जाता है।
रक्त परिसंचरण तंत्र
Reviewed by TEAM 1
on
March 25, 2015
Rating:
No comments: