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लवक (कोशिका विज्ञान भाग-4)

लवक  प्राय: पादप कोशिकाओं में पाये जाते है।ये गोलाकार अथवा चपटे आकार के रंगीन अथवा रंगहीन होते है। लवक कवक,जीवाणु,नीलेहरे शैवालों तथा मिक्‍सोमाइसीट्स आदि में नहीं पाये जाते है। लवक की खोज 1865 में हैकेल ने की । लवक शब्‍द का प्रयोग सर्वप्रथम ए एफ डब्‍लूएस शिम्‍पर ने किया। 
रंग के आधार पर  लवक तीन प्रकार के होते है-
(1)-हरितलवक अथवा क्‍लोरोप्‍लास्‍ट
(2):-वर्णीलवक अथवा क्रोमोप्‍लास्‍ट
(34):-अलवर्णीलवक अथवा ल्‍यूकोप्‍लास्‍ट

विभिन्‍न प्रकार के लवक एक-दूसरे में बदल सकते है। हरे टमाटर तथा हरी मिर्च में क्‍लोरोप्‍लास्‍ट होते है एवं पके टमाटर तथा पकी मिर्च में ये क्रोमोप्‍लास्‍ट में बदल जाते है। इसी कारण से पकने पर टमाटर तथा मिर्चका रंग लाल हो जाता है।
अत: ये लवक एक दूसरे में बदल जाते है।

(1) कलोरोप्‍लास्‍ट अथवा हरितलवक:-ये हरे रंग के लवक होते है। इनका रंग हरा इनमें पाये जाने वाले वर्णक पर्णहरित या क्‍लोरोफिल के कारण होता है। बैक्‍टीरिया नीली-हरी शैवालों तथा कवको को छोड़कर हरितलवक सभी पौधो की हरी कोशिकाओं में पाए जाते है। क्‍लोरोप्‍लास्‍ट केवल उन्‍हीं भागों में पाए जाते है, जो प्रकाश में पाए जाते है। हरितलवक प्रकाश की उपस्‍थिति मे अपने पर्णहरित की सहायता से प्रकाश संश्‍लषण द्वारा भोजन का निर्माण करता है। इनकी खोज शिम्‍पर नामक वैज्ञानिक ने सन्  1885 में की।
क्‍लोरोप्‍लास्‍ट के चारो ओर ईकाई कलाओं की बनी दो झिल्‍लियों होती है जो वसा-प्रोटीन की बनी होती है। झिल्‍लियों से घिरे अर्द्धतरल पदार्थ को स्‍ट्रोमा कहते है।  स्‍ट्रोमा के अंदर झिल्‍लियों से बनी पटलिकाए होती है।
ये पटलिकाए स्‍थान-स्‍थान पर सिक्‍कों के ढेर जैसी रचनाए बनाती है जिन्हे ग्रेनम कहते है। पास-पास ग्रेना एक-दूसरे से साधारण या जालिकावत् पटलिकाओ द्वारा परस्‍पर जुडे रहते है। जिन्‍हे स्‍ट्रोमा पटलिकाये कहते है।
प्रत्‍येक ग्रेना सिक्‍के के ढेर की तरह दिखाइ देती है। ग्रेनाकी प्रत्‍येक गोल-चपटी पटलिका को ग्रेनम लैमिली कहते है जो कि ईकाई होती है।   ग्रैनम लैमिली को थाईलैकायड भी कहते है। 
प्रत्‍येक थाइलैकॉयड दो ईकाई झिल्‍लियों की बनी होती ।  इसका ऊपरी और अंतिम स्‍तर प्रोटीन अणुओं का बना होता है। इसके मध्‍य मे क्‍लोरोफिल या फास्‍पोलिपिड के स्‍तर होते है। क्‍लोरोफिल के प्रत्‍येक अणु में एक शीर्ष एवं एक पूुछ होती है। शीर्ष पाइरोल के चार चक्राकारों से बना होता है।/ये मैगनीशियम परमाणु द्वारा आपसे में जुडे होते है। 
   *************क्‍लोरोप्‍लास्‍ट का रासायनिक संगठन*************
अवयव  तथा उसकी मात्रा
प्रोटीन : 35-55  प्रतिशत
फॉस्‍पोलिपिड्स: 25-35 प्रतिशत
क्‍लोरोफिल: 5-10 प्रतिशत
कैरोटीनॉयड्स 1-4*5प्रतिशत
आर एन ए- 2-3 प्रतिशत
डी एन ए- 0 से 5 प्रतिशत 
विटामिन ई- 1 से कम प्रतिशत
धातुओं की मात्रा- कुछ मात्रा

कुल क्‍लोरोप्‍लास्‍ट का 75 प्रतिशत क्‍लोरोफिल ए तथा 25 प्रतिशत क्‍लोरोफिल बी होता है। 
हरे पौधो में क्‍लोरोप्‍लास्‍ट प्रकाश संश्‍लेषण की क्रिया को संपन्‍न करता है। सूर्य के प्रकाश की विकिरण ऊर्जा को कार्बनडाईआक्‍साइड एवं जल की सहायता से रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करके कार्बनिक भोज्‍य पदार्थो में संचित करता है।
प्रकाश संश्‍लेषण की प्रकाशिक अभिक्रिया ग्रैना में होती है तथा अप्रकाशिक अभिक्रिया स्‍ट्रोमा में संपन्‍न होती है। फलस्‍वरुप भोजन या कार्बोहाइड्रेट्स(ग्‍लूकोज) का निर्माण होता है। 


(2) क्रोमोप्‍लास्‍ट:- ये प्राय: नारंगी पीले भूरे रंग आदि के होते है। इनमें स्‍ट्रोमा नहीं होती है। क्राेमाप्‍लास्‍ट सामान्‍यत: पुष्‍पों के दलो मे या रंगीन फलो की भित्‍तियों में पाए जाते है। इनके कारण पुष्‍पों की भित्‍तियों में पाए जाते है। इनके कारण पुष्‍पों की रंग चमकीला होता है, जिससे ये-कीट परागण में सहायक होते है।

(3):-ल्‍यूकोप्‍लास्‍ट:- ये रंगहीन एवं अनियमित आकार के होते है। ल्‍यूकोप्‍लास्‍ट पौधों के उन भागों में पाए जाते है, जहॉं प्रकाश नहीं पहुचता है। ल्‍यूकोप्‍लास्‍ट अधिकांश पौधों के भूमिगत भागों में पाए जाते है। सूर्य के प्रकाश में क्‍लोरोप्‍लास्‍ट अधिकांश पौधो के भूमिगत भागों में पाए जाते है। बडे आकार के ल्‍यूकोप्‍लास्‍ट शर्करा को मण्‍ड में परिवर्तित करते है।
कार्य के आधार पर ल्‍यूकोप्‍लास्‍ट निम्‍न प्रकार के होते है-
एमाइलोप्‍लास्‍ट:- ये शर्करा को स्‍टार्च में परिवर्तित करके अपने अंदर संचित करते है।
इलायोप्‍लास्‍ट:- ये प्राय: बीजो में पाये जाते है तथा वसा का संचय करता है। 
प्रोटीनोप्‍लास्‍ट:-ये प्राय: बीजो मे पाये जाते है जिसमे प्रोटीन का संचय होता है।
                   माइक्रोबॉडीज :- यह एक परत वाली झिल्‍ली से घिरी थैलिया होती है इनका निर्माण एण्‍डाेप्‍लाज्‍मिक जालिका एवं गाल्‍जी तंत्र से थैलियों के टूटने से होता है इनका आकार 0*3-1*3 व्‍यास होता है



लवक (कोशिका विज्ञान भाग-4) लवक  (कोशिका  विज्ञान  भाग-4) Reviewed by TEAM 1 on March 17, 2015 Rating: 5

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