Important compounds---
जल (water):- जल हाइड्रोजन का ऑक्साइड है। इसमें हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का भारानुसार अनुपात
1:8 है तथा आयतनानुसार अनुपात 2:1 होता है। इसका क्वथनांक 100 डिग्री सेंटीग्रेट तथा
गलनांक 0 डिग्री सेंटीग्रेट होता है। जल ऊष्मा का सुचालक होता है। शुद्ध जल विद्युत
का कुचालक होता है परन्तु विभिन्न अशुद्धियों के कारण इसमें विद्युत का प्रवाह संभव
है। 4 डिग्री सेंटीग्रेट पर जल का घनत्व अधिकतम होता है और आयतन न्यूनतम होता है।
इसमे कार्बनिक पदार्थो को छोडकर अन्य सभी अधिकांश अकार्बनिक पदार्थ प्राय: खुल जाते
है। इसका कारण है इसका परावैद्युतांक का अधिक होना। इसका परावैद्युतांक लगभग 82 होता
है। इसीलिए इसे सार्वत्रिक विलायक भी कहते हैं।
जल सक्रिय धातुओं जैसे- सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम आदि का ऑक्सीकरण
करता है जबकि सक्रिय अधातुओं जैसे- क्लोरीन आदि का अपचयन करता है।
जल के प्रकार- जल दो
प्रकार का होता है।
(1)
कठोर जल- इस जल में साबुन पर्याप्त
मात्रा में झाग नहीं देता है। इसमें मैग्नीशियम तथा कैल्शियम के बाईकार्बोनेट तथा
सल्फेट तथा क्लोरोइड घुले रहते है।
(2)
मृदु जल- यह जल साबुन के साथ
आसानी से झाग देने लगता है। यह पीने योग्य होता है।
जल की कठोरता के प्रकार-
जल की कठोरता दो प्रकार की होती है।
(1)
अस्थाई कठोरता- इसमें जल में
कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के बाई-कार्बोनेट घुले रहते है। इसकी कठोरता जल को उबालने
से दूर हो जाती है।
(2)
स्थाई कठोरता- इसमें जल में
कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के लवण अथवा सल्फेट घुले रहते है। यह कठोरता उबालने से
दूर नहीं होती। स्थायी कठोरता दूर करने के लिए सोडियम कार्बोनेट (Na2Co3) को जल में
मिलाकर गर्म करते है।
क्लार्क विधि- इस विधि में बुझा चूना य चूने का जल को निश्चित मात्रा को जल में
मिलाने से अशुद्धियॉं दूर हो जाती है। इसे क्लार्क विधि कहते है।
आस्वन विधि से दोनो प्रकार की कठोरता दूर हो जाती हे।
परम्यूटिट विधि- इस विधि से भी जल की दोनो प्रकार की कठोरता दूर हो जाती है। इसमें
सोडियम एल्यूमिनियम सिलिकेट (सोडियम परम्यूटिट) को कठोर जल में मिलाते है। जिससे जल में
घुले लवण अविलेय परम्यूटिट में बदल जाते है जिसे छानकर अलग कर लिया जाता है।
ADMIN- ANURAG SINGH
WATER AND ITS TYPE AND HARDNESS
Reviewed by TEAM 1
on
July 03, 2016
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