बेसिक समूह(BASIC GROUPS):- इससमूह में चार देश सम्मिलित हैं। उनके नाम निम्नलिखित है-ब्राजील,दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन। विश्व के चार बड़े एवं उभरते देशों ने इस समूह की स्थापना एक समझाैतेके तहत 28 नवंबर, 2009 करने की थी। यह समूह कार्बन उत्सर्जन में कमी पर एक सर्वमान्य सहमति बनाने के लिये प्रयासरत है, साथ ही जलवायु परिवर्तन पर विकासशील देशों को आर्थिक सहायता पर भी एक सर्वमान्य नीति बनाने की बात कर रहा है।
ब्लैक कार्बन- ब्ल्ैक कार्बन वायुमंडल में पाये जाने वाले वैसे कण हैं जो जीवाश्म ऊर्जा, जैव ईधन तथा बायो मास के आंशिक दहन से प्राप्त होते हैं। यह प्राकृतिक तथा मानवीय दोनों ही तरीकों से वायुमंडल में पहुचते है। ब्लैक कार्बन विशद्ध रुप से कार्बन है जो अनेक सह संयोजित रुपो में पाये जाते है। ब्लैक कार्बन वायुमंडल की ऊष्मा को अवशोषित कर वातावरण का तापमान बढ़ा देते है। यह वातावरण्ा में अधिक से अधिक एक सप्ताह तक रहती है, जबकि कार्बन डाई आक्साइड 100 से भी अधिक वर्षो तक वायुमंडल में बनी रहती है।
क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म- क्लीन डेवेलपमेंट मैकेनिज्म ग्रीन हाउस गैसेा को कम करने के उद्देश्य वाली ''क्योटो प्रोटोकाल'' की अनु०-12 के तहत पारिभाषित एक व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत क्योटो प्रोटोकॉल की सूची एक में शामिल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी करने के लिये सूची दो में शामिल देशों की हरित परियोजनाओं में निवेश कर ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी की अपनी प्रतिबद्धता को निभा सकते है।
ग्रीन हाउस प्रभाव- ग्रीन हाउस प्रभाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी ग्रह या उपग्रह के वातावरण में मौजूद कुछ गैसें उस ग्रह तथा उपग्रह के वातावरण के ताप को अपेक्षाकृत अधिक बनाने में मदद करती है। इन गैसों को ग्रीन हाउस गैसे कहते है- जिनमें से प्रमुख निम्न है-कार्बनडाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो फ्लोरो कार्बन, तथा ओजोन गैसे प्रमुख है।
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Reviewed by TEAM 1
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April 09, 2015
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