मौर्य राजवंश
चन्द्रगुप्त मौर्य(322ई0पूर्व- 298 ई0पूर्व):-
- चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु कौटिल्य की सहायता से ''घनानन्द'' की हत्या कर पहली बार भारत में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की।
- यूनानी, सीरिया के सम्राट सेल्यूकस ने 305 ई र्पू0 में भारत पर आक्रमण किया किन्तु चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को पराजित कर दिया।
- सेल्यूकस ने मेगस्थनीज नामक एक राजदूत, चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार मे भेजा । वह बहुत दिनो तक पाटलिपूत्र में रहा तथा भारत पर उसने ''इण्डिका'' नामक एक पुस्तक की रचना की।
- चन्द्रगुप्त ने अन्तिम समय में जैन मुनि भद्रबाहु से दीक्षा ली तथा मैसूर के निकट श्रवणबेलगोला में जाकर 298 ई र्पू0 अपना शरीर त्याग दिया।
- सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त मौर्य को अपने राज्य के पूर्वी भाग में स्थित चार प्रान्त- एरिया, अराकोसिया, जैड्रोसिया और पेरीपेमिसदाई अथवा काबुल, कन्धार, मकरान, और हैरात दहेज में दिये।
- प्लूटार्क के अनूसार चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस को 500 हाथी दिये।
- ब्राह्मण ग्रंथो विष्णुपुराण की मध्यकालीन टीका तथा 10वी शताब्दी की धुडिराज द्वारा रचित ''मुद्राराक्षस' की टीका के आधार पर चन्द्रगुप्त को कुछ विद्वानों ने शूद्र माना है।
बिन्दूसार ''अमित्रघात''(298ई र्पू0 - 273 ई र्पूव)
- चन्द्रगुप्तमौर्य की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर बैठा।
- बिन्द1सार के समय कुछ प्रदेशों में विद्रोह हुए जिन्हें दबा दिया गया। तक्षशिला में होने वाले विद्रोह को दबाने के हेतु बिन्दुसार ने अपने पुत्र अशोक को भेजा।
- बिन्दुसार ने एण्टियोकस से तीन वस्तुये- मीठी मदिरा, सूखी अंजीर, तथा एक दार्शनिक की मॉंग की।
- जैन परम्पराओं के अनुसार इनकी माता का नाम ''दुर्धरा'' मिलता है।
- मिस्त्र के राजा टालमी द्वतीय ने फिलाडेल्फस ने ''डाइनोसियस'' नामक एक राजदूत मौर्य दरबार भेजा।
- बिन्दुसार के दरबार मे 500सदस्योें वाली एक परिषद थी जिसका प्रधान खल्लाटक था।
MAURYA DYNASTY PART-1
Reviewed by TEAM 1
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March 25, 2015
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